Friday, December 21, 2012

मेरी तरफ़ ज़माने की उठती हैं ऊँगलियाँ,

जब तेरा नाम प्यार से लिखती हैं ऊँगलियाँ,
मेरी तरफ़ ज़माने की उठती हैं ऊँगलियाँ,

दामन सनम का हाथ में आया था एक पल,
दिन रात उस एक पल से महकती हैं ऊँगलियाँ,

जब से दूर हो गए हो उस दिन से ही सनम,
बस दिन तुम्हारे आने के गिनती हैं ऊँगलियाँ,

पत्थर तराश कर ना बना ताज एक नया,
फनकार के ज़माने में कट्ठी हैं ऊँगलियाँ,

Uniqe by DESIRES: JAGJIT SINGH

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