अपने चेहरे से जो जाहिर है, छुपाये कैसे,
तेरी मरजी के मुताबिक नज़र आए कैसे,
घर सजाने का तसबुर तो बहुत बाद का है,
पहले यह तय हो के इस घर को बचाए कैसे,
कहकहा आंख का बर्ताव बदल देता है,
हँसने वाले तुझे आंसू नज़र आये कैसे,
कोई अपनी ही नज़र से जो हमे देखेगा,
एक कतरे को समंदर नज़र आये कैसे,
CRY FOR CRY
तेरी मरजी के मुताबिक नज़र आए कैसे,
घर सजाने का तसबुर तो बहुत बाद का है,
पहले यह तय हो के इस घर को बचाए कैसे,
कहकहा आंख का बर्ताव बदल देता है,
हँसने वाले तुझे आंसू नज़र आये कैसे,
कोई अपनी ही नज़र से जो हमे देखेगा,
एक कतरे को समंदर नज़र आये कैसे,
CRY FOR CRY
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