Thursday, December 6, 2012

अपनी वफ़ा का सोच के अंजाम रो पड़े,

उल्फत का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े,
अपनी वफ़ा का सोच के अंजाम रो पड़े,

हर शाम ये सवाल मोहब्बत से क्या मिला,
हर शाम ये जवाब के हर शाम रो पड़े,

राह-ऐ-वफ़ा में हमको खुशी की तलाश थी,
दो कदम ही चले थे के हर कदम रो पड़े,

रोना नसीब में है तो औरों से क्या गिला,
अपने ही सर लिया कोई इल्जाम रो पड़े,

No comments:

Followers