Wednesday, March 6, 2013

आज फिर किसी का कत्ल होगा शायद

आज फिर किसी का कत्ल होगा शायद
आज फिर उनके रूख पे नकाब नहीं है।

हैं मुज़्तरिब वो कि उनका कोई रक़ीब नहीं
आखिर इन्सॉं है वो कोई माहताब नहीं है।

न गुजरेगें हम कभी कू ए यार से लिल्लाह
रहजन है वो दिल का कोई पासबॉं नही है।

क्यों करता है खुद को तबाहो बर्बाद 
खुदा के पास भी उनकी बेवफाई का जबाब नहीं है।

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