आज फिर किसी का कत्ल होगा शायद
आज फिर उनके रूख पे नकाब नहीं है।
हैं मुज़्तरिब वो कि उनका कोई रक़ीब नहीं
आखिर इन्सॉं है वो कोई माहताब नहीं है।
न गुजरेगें हम कभी कू ए यार से लिल्लाह
रहजन है वो दिल का कोई पासबॉं नही है।
क्यों करता है खुद को तबाहो बर्बाद
खुदा के पास भी उनकी बेवफाई का जबाब नहीं है।
आज फिर उनके रूख पे नकाब नहीं है।
हैं मुज़्तरिब वो कि उनका कोई रक़ीब नहीं
आखिर इन्सॉं है वो कोई माहताब नहीं है।
न गुजरेगें हम कभी कू ए यार से लिल्लाह
रहजन है वो दिल का कोई पासबॉं नही है।
क्यों करता है खुद को तबाहो बर्बाद
खुदा के पास भी उनकी बेवफाई का जबाब नहीं है।
No comments:
Post a Comment