Thursday, May 15, 2014

कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा, बर्गर खाना पसंद था...

जब बचपन था, तो जवानी एक ड्रीम था...
जब जवान हुए, तो बचपन एक ज़माना था...

जब घर में रहते थे, आज़ादी अच्छी लगती थी...
आज आज़ादी है, फिर भी घर जाने की जल्दी रहती है...

कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा, बर्गर खाना पसंद था...
आज घर पर आना और माँ के हाथ का खाना पसंद है...

स्कूल में जिनके साथ ज़गड़ते थे,
आज उनको ही इंटरनेट पे तलाशते है...

ख़ुशी किसमे होतीं है, ये पता अब चला है...
बचपन क्या था, इसका एहसास अब हुआ है...

काश बदल सकते हम ज़िंदगी के कुछ साल
काश जी सकते हम, ज़िंदगी फिर एक बार...!!

Ek Facebool friend ki wall se...

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