आहीस्ता चल अभी जिंदगी, कुछ कर्ज चुकाना बाकी है। कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फर्ज निभाना बाकी है। रफ्तार मे तेरे चलने से, कुछ रूठ गये, कुछ छूट गये। रूठों को मनाना बाकी है, छुटों को जुटाना बाकी है। कुछ हसरतें सी दिल मे है, कुछ काम जरूरी बाकी है। कुछ ख्वाईशें सी जो उठती है, उनको दफनाना बाकी है। कुछ रिश्ते बन कर टूट गये, कुछ जुडते जुडते छुट गये, उन टुटे-छुटे रिश्तों के, कुछ जख्म मिटाना बाकी है। तू आगे चल मै आता हूं, तुझे छोड के क्या जी पाउंगा? इन सांसो पर जिनका हक है, उनको समझाना बाकी है। आहीस्ता चल अभी जिंदगी, कुछ कर्ज चुकाना बाकी है।
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